टायलेट में टाइगर
कारपोरेट कल्चर
की इस कथा में यूँ तो नया कुछ भी नहीं है सिवाय कथावाचक के अंदाजे बयां के | फिर
भी कथा कहने की ज़रूरत इस कारण आन पड़ी कि पुराने कथावाचक ने इसकी इकहरी व्याख्या की
थी|
तो कथा इस
तरह है कि एक कंपनी थी | बड़े नाम की बड़े दाम की ...अलबत्ता काम का पता नहीं | उस दिन
कंपनी की खास बैठक जारी थी | सारे खासो आम
यानी मालिक से माली तक चिंतन वाले पोज़ में
में थे |
तभी मालिक को लगा की उसे कुदरती बुलावा यानी नेचुरल काल आया है सो उसने टायलेट की राह पकड़ी | टायलेट में टाइगर छुपा था |
अरे रे रे आप भी टायलेट में टाइगर को पाकर हैरान हो गये |
हुआ यूँ कि सरकारी वन विहार में जो नया साहब आया था वो ज़रा धार्मिक किस्म का था | वन्श्बहादुर एक बच्चे कि उम्मीद में वो गरीब ४ बच्चियों का बाप बन चुका था | सो अब उनका घर बसाने की फिक्र में वो गरीब धार्मिक न हो जाता तो क्या होता?तो वो धार्मिक कुछ इस तरह हुआ कि टाइगर को दिये जाने वाले मुर्गो और बकरों की तादाद उसने आधी कर दी ...अब बचे मुर्गो और बकरों की दुआओं से ही तो बच्चियों का घर आबाद होना था |
सो बेचारा टाइगर भी साहब पर रहम कर अपने भोजन की तलाश में वन विहार से भटकता हुआ शहर आ घुसा और शहर में आपने से भी ज्यादा खूंखार इंसानों से घबराकर छुपने की ज़गह तलाशता हुआ कम्पनी के टायलेट तक जा पहुंचा |
तभी मालिक को लगा की उसे कुदरती बुलावा यानी नेचुरल काल आया है सो उसने टायलेट की राह पकड़ी | टायलेट में टाइगर छुपा था |
अरे रे रे आप भी टायलेट में टाइगर को पाकर हैरान हो गये |
हुआ यूँ कि सरकारी वन विहार में जो नया साहब आया था वो ज़रा धार्मिक किस्म का था | वन्श्बहादुर एक बच्चे कि उम्मीद में वो गरीब ४ बच्चियों का बाप बन चुका था | सो अब उनका घर बसाने की फिक्र में वो गरीब धार्मिक न हो जाता तो क्या होता?तो वो धार्मिक कुछ इस तरह हुआ कि टाइगर को दिये जाने वाले मुर्गो और बकरों की तादाद उसने आधी कर दी ...अब बचे मुर्गो और बकरों की दुआओं से ही तो बच्चियों का घर आबाद होना था |
सो बेचारा टाइगर भी साहब पर रहम कर अपने भोजन की तलाश में वन विहार से भटकता हुआ शहर आ घुसा और शहर में आपने से भी ज्यादा खूंखार इंसानों से घबराकर छुपने की ज़गह तलाशता हुआ कम्पनी के टायलेट तक जा पहुंचा |
उधर कंपनी के मालिक ने जैसे ही दरवाज़ा खोला टी ओ सामने टाइगर को पा वैसे ही हो गया जैसे सुबह आसमान चढ़ा सेंसेक्स शाम को ओउंधे मुंह धूल में आ गिरा हो| और टाइगर को कुछ करने का मौका दिये बगैर साहब
दिल का दौरा पड़ने से सेंसेक्स की चढाई
देखे बगैर असार संसार से कूच कर गये |उनकी मौत से मालूम हुआ कि साहब बहादुर के दिल भी था |
खैर कंपनी कि बैठक बदस्तूर जारी रही किसी को अहसास ही नहीं हुआ कि कोई अब उनके बीच नहीं है ...और फिर कंपनी के जी. ऍम. फिर डी. ऍम. और ऐसे ही दूसरे अहम किरदार कुदरती बुलावे के शक में टायलेट को जाते और फिर लौट कर नहीं आये| मगर कमाल ये की बैठक बदस्तूर फिर भी जारी रही और किसी को किसी की कोई कमी नहीं लगी |
खैर कंपनी कि बैठक बदस्तूर जारी रही किसी को अहसास ही नहीं हुआ कि कोई अब उनके बीच नहीं है ...और फिर कंपनी के जी. ऍम. फिर डी. ऍम. और ऐसे ही दूसरे अहम किरदार कुदरती बुलावे के शक में टायलेट को जाते और फिर लौट कर नहीं आये| मगर कमाल ये की बैठक बदस्तूर फिर भी जारी रही और किसी को किसी की कोई कमी नहीं लगी |
उस कंपनी में एक चपरासी कम चौकीदार
कम वाटर मेन कम डाक रनर था| आल इन वन | पद उसके जितने ज्यादा थे पगार उसकी उतनी कम
|कंपनी में जैसे जैसे मेनेजरों की संख्या बढ़ती गयी वैसे वैसे चपरासी, चौकीदार लुप्त होते गये | उस लुप्त प्रजाति का वो बेचारा एक मात्र जीवित सदस्य था जो बैठक मे उस दिन चाय पिला रहा था |किसी काम से उसे भी टायलेट जाना पड़ा |
दूसरों की तरह उसने भी जैसे ही दरवाज़ा खोला तो टाइगर को देख उसकी आँखें भी फटी रह गयी| देखा फर्श पर कंपनी के सभी शेर ढेर थे |
आल इन वन ने भी मरना चाहा पर ऐन वक्त घर मे गठिया से गठरी बनी माँ, ताज़ी हवा की कमी से कमज़ोर अस्थमा पीड़ित पत्नी और दुधमुहे बच्चों का ख्याल कर मर न सका | बस टकटकी साधे टाइगर को देखता रहा | भाई कुछ तुझे करना हो तो तू ही कर ले वाले अंदाज़ में | और टाइगर था कि इस सोच में था, की या तो तू कुछ कर वर्ना मर | मैं टाइगर तो वन विहार में मुफ्त की तोड़ने के कारण कुछ करने के लायक बचा ही नहीं | सो दोनों एक दूसरे को बस टकटकी बांधे देखते रहे |
आल इन वन ने भी मरना चाहा पर ऐन वक्त घर मे गठिया से गठरी बनी माँ, ताज़ी हवा की कमी से कमज़ोर अस्थमा पीड़ित पत्नी और दुधमुहे बच्चों का ख्याल कर मर न सका | बस टकटकी साधे टाइगर को देखता रहा | भाई कुछ तुझे करना हो तो तू ही कर ले वाले अंदाज़ में | और टाइगर था कि इस सोच में था, की या तो तू कुछ कर वर्ना मर | मैं टाइगर तो वन विहार में मुफ्त की तोड़ने के कारण कुछ करने के लायक बचा ही नहीं | सो दोनों एक दूसरे को बस टकटकी बांधे देखते रहे |
इस बीच बैठक में आल इन वन
को ना पाकर चीख पुकार मचने लगी | किसी को
पानी चाहिये था ,किसी को चाय | किसी को फाइल मगानी थी तो किसी को कुछ | लिहाज़ा आल इन वन की तलाश की जाने लगी और कुछ ही देर में आल इन वन को टायलेट में खोज
लिया गया | स्कावड की मदद से टाइगर पकड़ा गया और इस तरह आल इन वन का रेस्क्यू आपरेशन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ | बीच
में छूटी बैठक दुगने जोश के साथ फिर शुरू हो गयी | आल इन वन सबको चाय पानी बाँटने के अपने काम में जुट गया और बाकि लोग चिंतन वाले अपने पोज़ में |
कथा का सन्देश
मेनेजमेंट गुरु
ने व्याख्या की कि कंपनी के इम्पोर्टेंट लोगों के न रहने का असर किसी पर नहीं हुआ
लेकिन मामूली आदमी के गायब होते ही सबको उसकी अहमियत पता चल गयी अर्थात
आपकी सेलेरी या पोजीशन से कम्पनी में आपकी
अहमियत तय नहीं होती काम से होती है यानी लगन से दिया काम करें और ऊपर
उठें |
पर्यावरण वादी ने कहा कि हमारे जंगल नहीं बचेगें तो हमारे शहर नहीं बचेगें और देर
सबेर शेर के आगे ढेर होने की बारी हमारी होगी | टायलेट को टाइगर से बचाना है तो जंगल बचाओ |
नैतिकतावादी ने कहा कि हमारे आचरण कि
अशुद्धता का दंड दूसरे भोगते हैं जैसे वनविहार के अफसर के भ्रष्टाचार के चलते टाइगर
शहर में घुसा और निर्दोष लोग मारे गये |आचरण की शुद्धता से नैतिक बल बढ़ता है जैसे कि चपरासी का बढ़ा और टाइगर कुछ नहीं कर पाया |
कामगार संगठन के लीडर ने फ़रमाया कि जो सबसे कम
पगार पाने वाला है वही कम्पनी चलाने वाला है और बचाने वाला है| यदि कंपनी में दो चौकीदार
होते तो टाइगर टायलेट में ना घुस पाता | मेनेजमेंट ,वर्कर कि तनख्वाह बढ़ाये और नहीं तो स्टाफ बढ़ाये वर्ना टायलेट में मरने को तैयार हो जाये |
साइकोलोजिस्ट ने समझाया कि इंसान जितना जानवर से डरता है
जानवर उससे ज्यादा इंसान से डरता है |
अक्सर अवास्तविक डर के कारण जितनी मौतें होती हैं उतनी वास्तविक कारणों से नहीं होती | अवास्तविक संकट का धैर्य से सामना करना ही उसका समाधान है जो उस छोटे से वर्कर ने कर दिखाया |
मगर कक्षा ४ के
बच्चे ने कथा के मर्म को पहचाना उसने उत्तर पुस्तिका में लिखा हमारे स्कूल के
टायलेट में काक्रोच होते हैं ..बड़ी कम्पनी
के टायलेट में टाइगर |काक्रोच यदि नहीं मरते तो टाइगर बन जाते हैं | टाइगर फिर हिट मी से नहीं मरते मगर यदि उनसे डरा ना जाये तो उन्हें पकड़ा जा सकता है |
वैसे यदि आपकी व्याख्या कोई हो तो
हमें भी बतायें|