Tuesday, August 30, 2022

बिलकिस बानो का दर्द और हम

बिलकिस बानो का दर्द और हम 

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अभी कुछ दिन पहले ही ए के हंगल साहब के एक फिल्मी  डायलाग का कई लोगो ने हवाला दिया  " इतना सन्नाटा क्यों है.. भाई " संदर्भ था बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई पर हमारी चुप्पी का । 

परसों ही राजदीप सरदेसाई का दैनिक भास्कर में लेख था जिसमे उन्होंने स्वयं को दी गई सलाह का उल्लेख किया है जो कुछ ऐसी थी कि बीस साल पीछे छूट गई बात को आप भी छोड़ दीजिए ।

तो सच है सन्नाटा पसरा हुआ है लेकिन कुछ हैं जो सन्नाटे को तोड़ रहे हैं इस ताकि सन्नाटा उनके सच कहने के साहस को ना तोड़ दे । सच का विवेक अपने आप में मुक्कमल बात नही है जब तक सच कहने का साहस ना हो ।

ऐसे ही विवेक पूर्ण साहस का परिचय हिंदी साहित्य के विद्यार्थी "ओशो तिवारी ", की इस पोस्ट से मिला जो साझा करने से मैं रोक नही पा रहा ...


"ओ निर्भया!

कभी कभी सोचता हूं कि तुम यहीं हो ,किसी अभिशप्त आत्मा- सी भटक रही हो।यहीं बिल्कुल यहीं किसी गाँव में , किसी कस्बे के मोहल्ले की किसी सुनसान सड़क पर या किसी ट्रेन या बस में, या अपने कहे जाने वाले घर में या राजपथ पर या फिर समूचे देश में।मुझे तुम हर जगह नज़र आ रही हो। टूटी,परित्यक्त,बिखरी और चिरकाल तक भटकने को अभिशप्त।

कुछ तुम जैसी और हैं जो जीते जी अभिशप्त हैं जो अभी तक आत्माएँ नहीं बनी हैं । नाम बस बदल गए हैं। तुम जैसी और उन करोड़ों आत्माओं के तर्पण के लिये हमने तुम्हारे ही कातिलों  पर हार सजाए हैं। तुम्हारी सदा की कडवाहट को मिटाने के लिए उनका मुँह मीठा किया है। कैसा लग रहा होगा तुम्हें यह सब देखकर ? कुछ हो न हो पर तुम शान्त ज़रूर  हो गयी होगी। शायद अब भटकने की ज़रूरत न पड़े। एक समाज ने तुम्हे ऐसे ही श्रद्धांजलि दी है । अब भटकाव ठीक नहीं है क्योंकि सब कुछ कानून/विधिअनुसार हुआ है। इसमे देश के बड़े बड़े पंडित पुजारियों ने अपना सहयोग दिया है।

अब तुम भटकना छोड़ शान्त हो जाओ। क्योंकि चारों तरफ सन्नाटा है। तर्पण संपन्न हुआ है। सब चुप हैं ।

और मैं शर्मिंदा हूँ । नि:शब्द हूँ । 

#बिल्किस बानो

-ओशो उत्सव"

#बिलकिस बानो का मामला ये था कि सन दो हज़ार दो में  गोधरा काण्ड के बाद गुजरात में भीषण दंगे भड़क उठे थे । कई परिवार सुरक्षित ठिकानों की तलाश में इधर से उधर छुपते छुपाते भाग रहे थे । ऐसा ही एक परिवार था बिलकिस बानो का जो तीन मार्च दो हजार दो को दंगाइयों की चपेट में आ गया ।

बिलकिस बानो की उम्र थी इक्कीस बरस और वो पांच माह के गर्भ से भी थी जब उसके साथ दंगाइयों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसकी तीन बरस की बेटी समेत परिवार के सात लोगो की हत्या कर दी गई । हत्या तो और भी लोगों की करनी बताई गई थी लेकिन छः लाशे बरामद नही हुई इसलिए मामला इतनी ही हत्याओं का पेश हुआ । जांच में  पी एम रिपोर्ट बदलने जैसे संगीन आरोप थे इसलिए मामला सी बी आई को सौंपा गया सी बी आई की मुंबई की विशेष अदालत ने लम्बे मुकदमें के बाद  सन दो हजार आठ में तेरह में से ग्यारह आरोपियों को हत्या और बलात्कार के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई । अपील में माननीय बाम्बे उच्च न्यायालय और फिर माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी सज़ा को बरकरार रखा ।

हाल ही में  पंद्रह अगस्त को गुजरात सरकार ने अच्छे चाल चलन के आधार पर इन अपराधियों की सजा माफ करते हुए इन्हे रिहा कर दिया ।

कानून सजायाफ्ता को इस तरह माफ करने का अधिकार सरकारों को देता जरूर है लेकिन सवाल है माफ़ी कब और किसे?

इसी सवाल पर माननीय उच्चतम न्यायलय में पिटिशन दाखिल है जिस पर सरकारों को नोटिस जारी हुए हैं ...!!